हक़ है आपका यह पुरस्कार,
न लाएं लौटाने का व्यवहार।
आम नहीं आप हैं कलाकार,
कीजिये कला से प्रहार।
अचूक है कला का वार,
देखिये करके प्रहार।
बेबाक कल निःशब्द हो जायेगा,
कला का मोल तब उसको हो पायेगा।
करना है विरोध प्रदर्शन तो करें इस विधि से~
लेखक लेखन से करें और कवि करें कविता से,
चित्रकार चित्र से और करें पत्रकार अख़बार से,
न लौटाएं पुरस्कार आज से।
लोकतंत्र की नींव को कोई न छु पायेगा,
जब एक लेखक अपनी कलम उठायेगा।
असहिष्णुता भी दम तोड़ देगी,
जब चित्रकार चित्र से मरहम लगाएगा।
कोशिशों से थम जायेगा हिंसा और अत्याचार,
ईमानदारी से आगे आएं पत्रकार।
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